तुम सोचती हो शयाद मैं तुमको छोड़ दुंगा - The Indic Lyrics Database

तुम सोचती हो शयाद मैं तुमको छोड़ दुंगा

गीतकार - फारूक कैसर | गायक - अनुराधा पौडवाल, मोहम्मद अज़ीज़ | संगीत - लक्ष्मीकांत, प्यारेलाल | फ़िल्म - हमारा खानदान | वर्ष - 1988

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तुम सोचती हो शायद मैं तुमको छोड़ दूंगा
वादों को तोड़ दूंगा कसमों को तोड़ दूंगा
लेकिन क़सम ख़ुदा की ऐसा नहीं करूंगा
मैं तुमको चाहता हूँ
मैं दिल से कह रहा हूँतुम बेवफ़ा नहीं हो दुनिया से डर रही हूँ
मर मर के जी रही हूँ जी जी के मर रही हूँ
जिअतना है मेरे बस में उतना मैं कर रही हूँ
मैं तुमको चाहती हूँ तुमको पूजती हूँ
मैं दिल से कह रही हूँप्यार होता नहीं डर डर के इसमें ज़िंदा हैं लोग मर मर के
इसमें बदनामियां भी होती हैं
इसमें दिल भी जलाना पड़ता है बेवजह मुस्कराना पड़ता है
मुस्कराऊंगा दिल जलाऊंगा रस्म-ए-उल्फ़त मगर निभाऊंगा
क्योंकि मैं तुमको चाहता हूँ ...जानती हूँ वफ़ा के अफ़साने मैने देखे हैं जलते परवाने
जो मोहब्बत में खाक़ होते हैं उनके जज़्बात पाक होते हैं
याद रखना ये मेरा वादा है जो तेरा वो मेरा इरादा है
रस्म-ए-उल्फ़त सनम निभाऊंगी जान पर अपनी खेल जाऊंगी
क्योंकि मैं तुमको चाहती हूँ ...मुझको अरमां नहीं है दौलत का मैं हूँ प्यासा तेरी मोहब्बत का
पहले शिकवा था बदनसीबी का अब नहीं दुःख मुझे गरीबी का
तेरा कांधा है और मेरा सर है तेरी आँखों में अब मेरा घर है
आज तन मन में तुम समा जाओ यह तुम्हारा है घर बसा जाओ
क्योंकि मैं तुमको चाहती हूँ ...