कितनी अकेली, कितनी तनहा सी लगी - The Indic Lyrics Database

कितनी अकेली, कितनी तनहा सी लगी

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सचिन देव बर्मन | फ़िल्म - तलाश | वर्ष - 1969

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कितनी अकेली, कितनी तनहा सी लगी
उनसे मिलके मैं आज
इस तरह खुले नैना, आए वो मेरे आगे
जिस तरह किसी गहरी नींद से कोई जागे
अब जहां से दूर हूँ कहीं बैठी मैं अलबेली
काश वो मेरे बनके पास यूँ कभी आते
खुलते द्वार बाहों के, तन दिये से जल जाते
प्यार के बिना है ये मन मेरा, जैसे सुनी हवेली