मिट्टी पे खींचि लकीरें मनमोहिनी तेरी अदा - The Indic Lyrics Database

मिट्टी पे खींचि लकीरें मनमोहिनी तेरी अदा

गीतकार - महबूब | गायक - सहगान, शंकर महादेवन | संगीत - इस्माइल दरबार | फ़िल्म - हम दिल दे चुके सनम | वर्ष - 1999

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हे मिट्टी पे खींची लकीरें रब ने तो ये तस्वीर बनी
आग हवा पानी को मिलाया तो फिर ये तस्वीर सजी
ऐ हस्ती तेरी विशाल हो क़ुदरत का तू कमालहे मनमोहिनी तेरी अदा
तुझे जब देख ले तो फिर घटा
बरसे झर झर झर झर झर झर
स र र स र र
नाचे चमक चमक वो बिजली दीवानी
है बेमिसाल तू गोरी गोरी अनछुई
तुझमें है क़ुदरत सारी खोई
तुझमें क़ुदरत सारी खोई खोई
हे आहा हे हे आहामिट्टी की है मूरत तेरी मासूमियत फ़ितरत तेरी
ये सादापन ये भोलापन तू महकी महकी तू लहकी लहकी
तू चली चली हर गली गली
तू हवा के ढंग संग सनन सनन
मेरा अंग अंग जैसे जलतरंग
कोई लहर लहर चली ठहर ठहर
पानी का मेल तेरे तन बदन
झर झर र झर र अंगारे जैसा
तेरा रोम रोम है दहका दहका
अग्नि का खेल तू अगन अगन
ज़रा थिरक थिरक ज़रा लचक लचक
कभी मटक मटक कभी ठुमक ठुमक
चली छूम छूम कभी घूम घूम
धरती को चूम मची धूम धूम
चंचल बड़ी तू नटखट बड़ी
तू बहकी बहार रस की फ़ुहार
तेरे तीखे नैन तेरे केश रैन
ये बलखाना ये इतराना
हे आहा हे हे आहा ...