भीगी भीगी रातों में - The Indic Lyrics Database

भीगी भीगी रातों में

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता मंगेशकर, किशोर कुमार | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - Ajnabi | वर्ष - 1974

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किशोर: भीगी भीगी रातों में, मीठी मीठी बातों में
ऐसी बरसातो में, कैसा लगता है?लता: (ऐसा लगता है तुम बनके बादल,
मेरे बदन को भिगोके मुझे, छेड़ रहे हो ओ
छेड़ रहे हो )-२लता: (अम्बर खेले होली उई माँ
भीगी मोरी चोली, हमजोली, हमजोली )-२
ओ, पानी के इस रेले में सावन के इस मेले में
छत पे अकेले में
कैसा लगता हैकिशोर: ऐसा लगता है
तू बनके घटा अपने सजन को भिगोके खेल खेल रही हो ओ
खेल रही होलता: ऐसा लगता है
तुम बनके बादल मेरे बदन को भिगोके मुझे छेड़ रहे हो हो.
छेड़ रहे होकिशोर: (बरखा से बचा लूँ तुझे
सीने से लगा लूँ
आ छुपा लूं आ छूपा लूँ )-२
दिल ने पुकारा देखो रुत का इशारा देखो
उफ़ ये नज़ारा देखो
कैसा लगता है, बोलो?लता: ऐसा लगता है कुछ हो जायेगा
मस्त पवन के ये झोकें सैंया देख रहे हो ओ
देख रहे हो
ऐसा लगता है
तुम बनके बादल मेरे बदन को भिगोके मुझे छेड़ रहे हो हो
छेड़ रहे हो