बिगद गई क्यों मेरी ताकादिर बनते बनते - The Indic Lyrics Database

बिगद गई क्यों मेरी ताकादिर बनते बनते

गीतकार - पी एल संतोषी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - सौदागर | वर्ष - 1951

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दिल मे चुपाये उनकी उल्फ़त का खज़ाना
आँखों से लिख रहें हैं तक़्दीर का फ़सानाआ~बिगड गई क्यों मेरी तक़्दीर बनते बनते
मिट गई उल्फ़त की लकीर बनते बनते
बिगड गई क्यों मेरी तक़्दीर बनते बनतेओ~ मन्ज़िल के पास आकर मन्ज़िल ही भूल बैठे
क़िस्मत ने मिटा डाली तद्बीर बनते बनते
बिगड गई क्यों मेरी तक़्दीर बनते बनतेओ~ तुझको तो ज़माने ने होने ना दिया मेरा
हम मिट गये खुद तेरी तस्वीर बनते बनते
बिगड गई क्यों मेरी तक़्दीर बनते बनते