अपने आप रातों में - The Indic Lyrics Database

अपने आप रातों में

गीतकार - कैफ भोपाली | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - खैय्याम | फ़िल्म - शंकर हुसैन | वर्ष - 1977

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अपने आप रातों में चिलमनें सरकती हैं
चौंकते हैं दरवाज़े, सीढ़ीयाँ ढड़कती हैं, अपने आप अपने आपएक अजनबी आहट आ रही है कम-कम सी
जैसे दिल के परदों पर गिर रही हो शबनम सी
बिन किसीकी याद आये दिल के तार हिलते हैं
बिन किसीके खनकाये चूड़ियाँ खनकती हैं, अपने आप
अपने आपकोई पहले दिन जैसे घर किसीके जाता हो
जैसे ख़्हुद मुसाफ़िर को रासता बुलाता हो
पाँव जाने किस जानिब बेउठाये उठते हैं
और छम-छमा-छम-छम पायलें झनकती हैं, अपने आपअपने आप रातों में चिलमनें सरकती हैं
चौंकते हैं दरवाज़े, सीढ़ीयाँ भड़कती हैं, अपने आप अपने आप