जगत पुरुष प्रेम हि प्रेम भारा हैं - The Indic Lyrics Database

जगत पुरुष प्रेम हि प्रेम भारा हैं

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - के एल सहगल | संगीत - आर सी बोराल | फ़िल्म - | वर्ष - 1936

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जगत में प्रेम ही प्रेम भरा है -२
बिना प्रेम यहाँ कछु न धरा है -२
जगत में प्रेम ही प्रेम भरा है -२शीतल पवन चलत जब यारी -२
झूम के गावत डाली-डाली -२
जगत में प्रेम ही प्रेम भरा है -२कोयल बन में शोर मचावे -२
मीठे गीत पपीहा गावे
कोयल बन में शोर मचावे
मीठे गीत पपीहा गावे
भौरा फूलों को समझावे -३
जगत में प्रेम ही प्रेम भरा है -२