सोचने को लाख बातें सोचे इन्सान - The Indic Lyrics Database

सोचने को लाख बातें सोचे इन्सान

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - रफी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - बाप बेटे | वर्ष - 1959

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सोचने को लाख बातें सोचे इन्सान
होगी वही पूरी जिसे चाहे भगवान
सोचने को लाख
होनी के हाथ में तू एक खिलौना है
उसने जो सोच लिया बस वही होना है
तुझको गिराए वही और उठाए वही
बेबस तू है नादान
सोचने को लाख
जो कुछ भी है सब उसका तमाशा है
आशा कहीं पे तो कहीं पे निराशा है
रखे अधूरे कभी कर दे पूरे कभी
जिसके वो चाहे अरमान
सोचने को लाख $