सुकुन दिल को मयसार गुल ओ समर में नहिन - The Indic Lyrics Database

सुकुन दिल को मयसार गुल ओ समर में नहिन

गीतकार - आरज़ू लखनवी | गायक - कानन देवी, के एल सहगल | संगीत - राय चंद बोराली | फ़िल्म - स्ट्रीट सिंगर | वर्ष - 1938

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सुक़ून दिल को मयस्सर गुल-ओ-समर में नहीं
जो आशियाँ में है अपने वह बाग़ भर में नहींजहाँ है राह-ए-गुज़र कह रही है चलती साँस
सुक़ून की और उम्मीद उमर भर भी नहींन आसरा हो जिसे दूसरों का ए हमदम
वह ऐसा दिल है कि जैसे चिराग़ घर में नहींपराए दुःख को दुःख अपना समझ ले और दे साथ
बशर नहीं जो यह बात आरज़ू बशर में नहीं