ढल चुकी शाम ए गम मुस्करा ले सनमी - The Indic Lyrics Database

ढल चुकी शाम ए गम मुस्करा ले सनमी

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - कोहिनुर | वर्ष - 1960

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ढल चुकी शाम-ए-ग़म मुस्करा ले सनम
इक नई सुबह दुनिया में आने को है
प्यार सजने लगा साज बजने लगा
ज़िन्दगी दिल के तारों पे गाने को है
ढल चुकी शाम-ए-ग़म ...आज पायल भी है नग़्मा-ए-दिल भी है
रंग-ए-उल्फ़त बहारों में शामिल भी है
आ गई है मिलन की सुहानी घड़ी
वक़्त की ताल पे ( नाचती है ख़ुशी ) -२
घुँघरुओं की सदा रंग लाने को है
ढल चुकी शाम-ए-ग़म ...झूमते आ रहे हैं ज़माने नए
हसरतें गा रही हैं तराने नए
आज दिल की तमन्ना निकल जाएगी
गीत होगा वही ( लय बदल जाएगी ) -२
इक नया राग क़िस्मत सुनाने को है
ढल चुकी शाम-ए-ग़म ...