ईट की दुक्की पान का इक्का - The Indic Lyrics Database

ईट की दुक्की पान का इक्का

गीतकार - कमर जलालाबादी | गायक - रफ़ी, शमशाद | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - हावड़ा ब्रिज | वर्ष - 1958

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ईट की दुक्की पान का इक्का
कहीं जोकर कहीं सत्ता है
सुनो जी ये कलकत्ता है
टाली गंज की झील पे बाबू आए रूप के दास
झील किनारे बढ़ती जाए मतवालों की प्यास
ना pocket में माल है बाबू
ना कपड़ा ना लत्ता है
सुनो जी ये कलकत्ता
चौरंगी के चौक में देखो मतवाले बंगाली
रसगुल्ले सी मीठी बातें इनकी शान निराली
कही बेनर्जी कहीं मुकर्जी
कहीं घोष कहीं दत्ता है
सुनो जी ये कलकत्ता
ये बस्ती है आग का दरिया इसमें हावड़ा पुल है
अपनी जान बचा लो बाबू वरना डिब्बा गुल है
सर पर पाँव रख कर भागो कटने वाला पत्ता है
सुनो जी ये कलकत्ता