कटा नहीं अंधेरों को चीर के आज रोशनी ये चलिए - The Indic Lyrics Database

कटा नहीं अंधेरों को चीर के आज रोशनी ये चलिए

गीतकार - जय वर्मा | गायक - कुणाल गांजावाला | संगीत - डब्बू मलिक | फ़िल्म - मैं - एक भारतीय होने पर गर्व है | वर्ष - 2003

View in Roman

ख़ता नहीं
मेरी कुछ ख़ता नहीं
ख़ामोश रह ना सका
ना जाने क्योँ पता नहीं
अब मगर
ये पूरा हुआ है क़हर
अपनी है शाम-ओ-सहर
भीगी है फिर क्यों नज़र
( इन हवाओ में पाँव रख कर हम आज उड़ने लगे
हाथ ये जो उठे यहाँ कई ख़ाब जुड़ने लगे ) -२अंधेरों को चीर के आज रोशनी ये चली
अपनों ने गिरह खोल दी दुनिया लगे भली
ख़ुशियाँ बरसती हैं यहाँ सब दुख पुराने लगे
यूँ मुसकुराने की चाह में कितने ज़माने लगेसहमी हुई
मुरादें कई पहनी हुई
खोया है सारा जहाँ
कैसी ये बेरहमी हुई
जी गये
देखा तुझे तो हम जी गये
नज़रों से छू के तुझे
हज़ारों ग़म सी गये
( जिस्म से आज रूह तक तुझमें समा जायेंगे
फ़ासलों को मिटा के हम दुनिया बसा जायेंगे ) -२( अंधेरों को चीर के आज रोशनी ये चली
अपनों ने गिरह खोल दी दुनिया लगे भली
ख़ुशियाँ बरसती हैं यहाँ सब दुख पुराने लगे
यूँ मुसकुराने की चाह में कितने ज़माने लगे ) -३