जिनके होंठों पे हांसी पांव में छाले होंगे - The Indic Lyrics Database

जिनके होंठों पे हांसी पांव में छाले होंगे

गीतकार - परवेज जालंधरी | गायक - गुलाम अली | संगीत - | फ़िल्म - हसीन लम्हेन 5 (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1992

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क्या बेमुरव्वत ख़ल्क़ है सब जमा हैं बिस्मिल के पास
तन्हा मेरा क़ातिल रहा कोई नहीं क़ातिल के पासजिनके होंठों पे हँसी पाँव में छाले होंगे
हाँ वोही लोग तुम्हें ढूँढने वाले होंगेहाँ वोही लोग तुझे चाहने वाले होंगेअन्दाज़ अपने देखते हैं आईने में वो
और ये भी देखते हैं कोई देखता न होमय बरसती है फ़ज़ाओं पे नशा तारी है
मेरे साक़ी ने कहीं जाम उछाले होंगेउनसे मफ़हूम-ए-ग़म-ए-ज़ीस्त अदा हो शायद
अश्क़ जो दामन-ए-मिजग़ाँ ने सम्भाले होंगेशम्मा ले आये हैं हम जल्वागह-ए-जानाँ से
अब दो आलम में उजाले ही उजाले होंगेहम बड़े नाज़ से आये थे तेरी महफ़िल में
क्या ख़बर थी लब-ए-इज़हार प्र ताले होंगे