सोच-समझकर दिल को लगाना - The Indic Lyrics Database

सोच-समझकर दिल को लगाना

गीतकार - साहिर | गायक - गीता दत्त | संगीत - एस डी बर्मन | फ़िल्म - जाल | वर्ष - 1952

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सोच-समझकर दिल को लगाना, देखो बुरा है ज़माना
भोली सूरत का धोखा न खाना, देखो बुरा है ज़माना
सोच-समझकर दिल को लगाना, देखो बुरा है ज़माना
धोखा न खाना, धोखा न खाना,
धोखा न खाना, ना ना ना ना ना
प्यार की गली में दिलवालो, जाना ज़रा सँभल-सँभलके
फिरते हैं चोर-लुटेरे, रस्ते में भेस बदलके
धोखा न खाना जी धोखा न खाना, देखो बुरा है ज़माना
सोच-समझकर दिल को लगाना, देखो बुरा है ज़माना
धोखा न खाना, धोखा न खाना,
धोखा न खाना, ना ना ना ना ना
दुनिया के इस बाज़ार में, तन की है मन की प्यास नहीं
हुस्न के इस गुलज़ार में, रंग ही रंग है बास नहीं
धोखा न खाना जी धोखा न खाना, देखो बुरा है ज़माना
सोच-समझकर दिल को लगाना, देखो बुरा है ज़माना
धोखा न खाना, धोखा न खाना,
धोखा न खाना, ना ना ना ना ना
प्रीत है काँच की चूड़ी, ठेस लगी और चूर हुई
शर्त वफ़ा की इस जग में, किसको भला मंज़ूर हुई
धोखा न खाना जी धोखा न खाना, देखो बुरा है ज़माना
सोच-समझकर दिल को लगाना, देखो बुरा है ज़माना
भोली सूरत का धोखा न खाना, देखो बुरा है ज़माना$