गीतकार - रुखा | गायक - सुरैया | संगीत - ओपी नैय्यर | फ़िल्म - श्री लम्बू | वर्ष - 1956
View in Romanसोई है कहाँ जा कर तक़दीर मोहब्बत की
अब मौत ही बातें तदबीर मोहब्बत की
सोई है कहाँ जा कर
मन्ज़िल है वही अपनी मिल जावो जहाँ हमको
मालूम नहीं लेकिन मन्ज़िल का निशाँ हमको
मन्ज़िल का निशाँ हमको
के लिये फिरती है ज़न्जीर मोहब्बत की
अब मौत ही बातें तदबीर मोहब्बत की
सोई है कहाँ जा कर
उनको तू तेरे दुख की परवाह नहींकोई
मरने के सिवा ऐ दिल अब राह नहीं कोई
अब राह नहीं कोई
मिटती है तो मिटने दे तसवीर मोहब्बत की
अब मौत ही बातें तदबीर मोहब्बत की
सोई है कहाँ जा कर$