तौबा तौबा ये जलावे कैसे कोई ना बहाके - The Indic Lyrics Database

तौबा तौबा ये जलावे कैसे कोई ना बहाके

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - हरिहरन, अनुराधा श्रीराम | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - जीन्स | वर्ष - 1998

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तौबा तौबा ये जलवे कैसे कोई ना बहकेपूरे ही बदन में जैसे रोशनी भरीतू है कोई हूर या कोई परी हैतौबा तौबा ये जलवे कैसे कोई ना बहकेप्यारी सी मूरत भोली सी सूरत फूल की जैसे हो पंखड़ीतेरा बदन है या है कोई रस की गंगा छलक पड़ीगहरी नशीली गहरी नीली आँखों में है मस्ती बड़ीहोंठ गुलाबी मुस्कायें तो छलके एक मोती की लड़ीहुस्न की मलिक़ा ख़ाबों की रानी तेरे जैसा कोई नहींइस दुनिया में लाखों हसीं हैं लेकिन ऐसा कोई नहींतौबा तौबा ये जलवे कैसे कोई ना बहकेहाय ये चाँद जैसा चेहरा और कँवल की डंठल गर्दनमोरनी सी चाल है तेरी हिरनी जैसी चँचल चितवनतू जहाँ-जहाँ से गुज़रे महके वो राहें सारीरंग-रंग तू छलके तो महके निगाहें सारीचाँद-नगर में ठण्डी हवायें प्यार की मैं ले आऊँगाफिर मैं चाँद के चाँदी और सोने से महल बनाऊँगातारे तोड़ के लाऊँगा और सारा महल सजाऊँगानर्म मुलायम बादल मैं वहाँ तेरे लिये बिछाऊँगाफूलों से शबनम लाऊँगा फिर मैं तुझे नहलाऊँगाऔर उस भीगे हुस्न को जानाँ आँखों से पी जाऊण्गातौबा तौबा ये जलवे
तौबा तौबा ये जलवे कैसे कोई ना बहके
पूरे ही बदन में जैसे रोशनी भरी
तू है कोई हूर या कोई परी हैतौबा तौबा ये जलवे कैसे कोई ना बहके