सुन, सुन, सुन, जालिमा, प्यार हम को तुम से हो गया - The Indic Lyrics Database

सुन, सुन, सुन, जालिमा, प्यार हम को तुम से हो गया

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - गीता दत्त - रफी | संगीत - ओ. पी. नय्यर | फ़िल्म - आर पार | वर्ष - 1954

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सुन सुन सुन सुन, जालिमा
प्यार हम को तुम से हो गया
दिल से मिला ले दिल मेरा
तुझ को मेरे प्यार की कसम
जा जा, जा जा, बेवफा
कैसा प्यार कैसी प्रीत रे
तू ना किसी का मीत रे
झूठी तेरी प्यार की कसम
प्यार की नज़र से दूर, यूँ ना ज़िन्दगी गुज़ार
हुस्न तू है इश्क मैं, कर भी ले नज़र को चार
चार मैं नज़र करूँ और फिर हुजूर से
पास यूँ ना आईये, बात कीजे दूर से
दूर कब तलक़ रहूँ, फूल तू है रंग मैं
मैं तो हूँ तेरे लिये, डोर तू पतंग मैं
कट गई पतंग जी, डोरे अब ना डालिये
और किसी के सामने, जा के दिल उछालिये
बात रह न जाये फिर, वक़्त ये गुजर न जाये
मेरे प्यार का ये हार, टूट कर बिखर न जाये
प्यार प्यार कह के तू, दिल मेरा न लूट रे
कह रहा है तू जो बात, हो न झूठमूठ रे