जरा थाहरो खुली पलक में झुउठा गुस्सा - The Indic Lyrics Database

जरा थाहरो खुली पलक में झुउठा गुस्सा

गीतकार - शैलेंद्र सिंह | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - शंकर, जयकिशन | फ़िल्म - प्रोफ़ेसर | वर्ष - 1962

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ज़रा थहरो ज़रा थहरो
सदा मेरे दिल की ज़रा सुनती जाओखुली पलक में झूथा गुस्सा बन्द पलक में प्यार
जीना भी मुश्किल हाय मरना भी मुश्किल
आंखों में इकरार की झल्की होथों पर इन्कार
जीना भी मुश्किल हाय मरना भी मुश्किलजिस दिन से देखा तुमको तुम लगे मुझे अपने से
और आके रहे आंखों में हाय
और आके रहे आंखों में इक मनचाहे सपने से
समझ ना आये क्या जीता मैं और गया क्या हार
जीना भी मुश्किल हाय मरना भी मुश्किलतुम प्यार छुपाके हारे मैं प्यार जताके हारा
अब तो सारी दुनिया पे हाय
अब तो सारी दुनिया पे ज़ाहिर है हाल हमारा
पहुंच के इस मन्ज़िल पे लौतना अब तो है दुश्वार
जीना भी मुश्किल हाय मरना भी मुश्किल