प्यास थी फिर भी तक़ाज़ा न किया - The Indic Lyrics Database

प्यास थी फिर भी तक़ाज़ा न किया

गीतकार - जान निसार अख्तर | गायक - मन्ना डे | संगीत - जयदेव | फ़िल्म - आलिंगन | वर्ष - 1974

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प्यास थी फिर भी तक़ाज़ा न किया
जाने क्या सोच के ऐसा न किया
बढ़ के हाथों पे उठा लेना था
तुझको सीने से लगा लेना था
तेर होंठों से तेरे गालों से
मुझको हर रंग चुरा लेना था
जाने क्या सोच के ऐसा न किया
हाथ आँचल से जो टकरा जाता
एक रंगीन नशा सा छा जाता
तेरे सीने पे खुली ज़ुल्फ़ों को
चूम लेता तो क़रार आ जाता
जाने क्या सोच के ऐसा न किया
दिन हसीं आग में ढल सकता था
मेरा अरमान निकल सकता था
तेरा मर्मर से तराशा ये बदन
गर्म हाथों में पिघल सकता था
जाने क्या सोच के ऐसा न किया