बेदर्दी मेरे सइयां शबनम हैं कभी शोले - The Indic Lyrics Database

बेदर्दी मेरे सइयां शबनम हैं कभी शोले

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - आशा भोंसले | संगीत - रवि | फ़िल्म - चौदहवीं का चाँदी | वर्ष - 1960

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बेदर्दी मेरे सैयाँ शबनम हैं कभी शोले
अन्दर से बड़े ज़ालिम बाहर से बड़े भोले
बेदर्दी मेरे सैयाँ ...मतलब के हैं रसिया कोई इन्हें क्या समझे
ये ख़ुद भी नहीं अपने बस इनको ख़ुदा समझे
दम भर में ये तोला हैं दम भर में माशा हैं
बनते हैं तमाशाई और ख़ुद ही तमाशा हैं
रह-रह के बदलते हैं दिन-रात नए चोले
अन्दर से बड़े ज़ालिम ...हर इक अदा मेरे बालम की निराली है
बातें मोहब्बत की मगर प्यार से खाली हैं
आदत से हैं बड़े चंचल सूरत है बड़ी सादा
आज इसको दिया कल उससे किया वादा
हरजाई हैं इनसे कोई क्या बोले
अन्दर से बड़े ज़ालिम ...