चांद कितानि दुउर था सीतारे कितानि दुउरी - The Indic Lyrics Database

चांद कितानि दुउर था सीतारे कितानि दुउरी

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - अफ़साना | वर्ष - 1966

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चाँद कितनी दूर था सितारे कितनी दूर थे
तुम जो आ गए तो सब करीब आ गए
चाँद कितनी दूर ...तुम्हारा हाथ रात में हिना का रंग मल गया
हमारे दिल के ताक़ में चिराग-ए-शौक़ जल गया
दो बदन के साए अन्जुमन सजा गए
चाँद कितनी दूर ...बुझा दो प्यास प्यार की लबों से कुछ तो बोल दो
बस एक नींद सो सकूँ ये ज़ुल्फ़-ए-नाज़ खोल दो
थाम लो हमें हम डगमगा गए
चाँद कितनी दूर ...