वो जो मिलते द कभि हम से दीवानों की तराह - The Indic Lyrics Database

वो जो मिलते द कभि हम से दीवानों की तराह

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - अकेली मत जइयो | वर्ष - 1963

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वो जो मिलते थे कभी हम से दीवानों की तरह
आज यूँ मिअल्ते हैं जैसे कभी पहचान न थीदेखते भी हैं तो यूँ मेरी निगाहों में कभी
अजनबी जैसे मिला करते हैं राहों में कभी
इस क़दर उनकी नज़र हम से तो अंजान न थी
वो जो मिलते थे कभी ...एक दिन था कभी यूँ भी जो मचल जाते थे
खेलते थे मेरी ज़ुल्फ़ों से बहल जाते थे
वो परेशाँ थे मेरी ज़ुल्फ़ परेशान न थी
वो जो मिलते थे कभी ...वो मुहब्बत वो शरारत मुझे याद आती है
दिल में इक प्यार का तूफ़ान उठा जाती थी
थी मगर ऐसी तो उलझन में मेरी जान न थी
वो जो मिलते थे कभी ...