बस में नहीं है जवानी मेरी - The Indic Lyrics Database

बस में नहीं है जवानी मेरी

गीतकार - खालिद | गायक - अलका याज्ञिक | संगीत - विजय बतलवी | फ़िल्म - आग के शोले | वर्ष - 1988

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बस में नहीं हैं जवानी
मेरी बात समझ ो बैरी
बस में नहीं हैं जवानी
मेरी बात समझ ो बैरी
कैसे तुझे समझौ क्यों हैं
मुझे ज़रूरत तेरी
मैं मर मर जाऊ हाय
कुछ कह भी न पाव
मैं मर मर जाऊ
कुछ कह भी न पाव

बस में नहीं हैं जवानी
मेरी बात समझ ो बैरी
बस में नहीं हैं जवानी
मेरी बात समझ ो बैरी
कैसे तुझे समझौ
क्यों हैं मुझे ज़रूरत तेरी
मैं मर मर जाऊ हाय
हाय कुछ कह भी न पाव
मैं मर मर जाऊ
कुछ कह भी न पाव

दर्द ये मीठा मीठा
मुझे पहली बार हुआ हैं
दर्द ये मीठा मीठा
मुझे पहली बार हुआ हैं
मेरे इस दर्द की सैया
बस तेरे पास दवा हैं
जल्दी से मेरी तू दावा कर दे
खली मेरी झोली हैं तू भर दे
मैं मर मर जाऊ हा हा
कुछ कह भी न पाव
मैं मर मर जाऊ
कुछ कह भी न पाव

तेरे भी अंदर कोई
तूफान तो उठता होगा
तेरे भी अंदर कोई
तूफान तो उठता होगा
तेरे भी तन में सैया
शोला सा भडकता होगा
तुझको ये डर है
मैं हा न कहूँगी
आज़मके देख
आज न न कहूँगी
मैं मर मर जाऊ
कुछ कह भी न पाव
मैं मर मर जाऊ
कुछ कह भी न पाव

बस में नहीं है जवानी
मेरी बात समझ ो बैरी
बस में नहीं है जवानी
मेरी बात समझ ो बैरी
कैसे तुझे समझौ
क्यों है मुझे ज़रूरत तेरी
मैं मर मर जाऊ है
कुछ कह भी न पाव
मैं मर मर जाऊ
कुछ कह भी न पाव.