ए मुसव्वीर तेरे हाथों कुछ ऐसी प्यारी शक्ल - The Indic Lyrics Database

ए मुसव्वीर तेरे हाथों कुछ ऐसी प्यारी शक्ल

गीतकार - हसरत जयपुरी | गायक - मोहम्मद रफ़ी | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - नया कानून | वर्ष - 1965

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ए मुसव्विर तेरे हाथों की बलाएँ ले लूँ
ख़ूब तस्वीर बनाई मेरे बहलाने कोकुछ ऐसी प्यारी शक्ल मेरे दिलरुबा की है
जो देखता है कहता है क़ुदरत ख़ुदा की है
कुछ ऐसी प्यारी ...इस सादग़ी को क्या है ज़रूरत सिंगार की
दीवानी खुद है इस पर जवानी बहार की
दुनिया में धूम उसके ही नाज़-ओ-अदा की है
जो देखता है ...नज़रों के एक तीर से संसार जी उठे
ज़ुल्फ़ों की छाँव डाल दे बीमार जी उठे
आँचल के तार में ठंडक हवा की है
जो देखता है ...साया नहीं है जिसका यही है वो नाज़नीं
ऐसा ज़मीन पर कोई आया नहीं हसीं
गालों पे जो भी रंग है लाली हया की है
जो देखता है ...