मैकदे की गली में जो जाम से पीता हुं उतर जाती है - The Indic Lyrics Database

मैकदे की गली में जो जाम से पीता हुं उतर जाती है

गीतकार - समीर | गायक - सोनू निगम, तौसीफ अख्तर | संगीत - नदीम, श्रवण | फ़िल्म - तुम से अच्छा कौन है | वर्ष - 2002

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हाँ मैकदे की गली में जाना छोड़ दिया
जबसे देखा उसे शीशे का जाम तोड़ दिया
वाह वाह वाहजो जाम से पीता हूँ उतर जाती है
जो आँख से पीता हूँ तो चढ़ जाती है
जो जाम से ...छन छनननन छन छन
मस्ताना यार तौबा हँसती बहारें तौबा
वो छुपके वार तौबा नज़रों की मार तौबा
छाए ख़ुमार तौबा आए करार तौबा
दिल जाए हार तौबा हो जाए प्यार तौबा
न पूछ यार मुहब्बत का नशा कैसा है
कोई दिन रात ख्यालों में बसा रहता है
बड़ी हसीन इन में शाम-ओ-सहर होती है
न दर्द-ओ-गम की न दुनिया की खबर होती है
आ आ
ये बेख़ुदी तो ज़िंदगी महकाती है महकाती है महकाती है
जो आँख से पीता हूँ ...हूं ज़ुल्फ़ों की बदलियों में रातों में है नशा नशा
महबूब की अदा में बातों में है नशा नशा
दिलदार की शराबी आँखों में है नशा
होँठों की सुर्खियों में साँसों में है नशा
गुलाबी नर्म से होँठों को चूम के देखो
किसी की मदभरी बाहों झूम के देखो
दीवाने प्यार का ऐसा सुरूर छाएगा
तुझे ज़मीं पे भी जन्नत का मज़ा आएगा
आ आ
ये मैकशी तो आशिक़ी सिखलाती है सिखलाती है सिखलाती है
जो आँख से पीता हूँ ...