जब से चले गे हैं वो जिंदगी जिंदगी नहीं - The Indic Lyrics Database

जब से चले गे हैं वो जिंदगी जिंदगी नहीं

गीतकार - खुमार बाराबंकवी | गायक - सुरैया | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - नाटक | वर्ष - 1947

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जब से चले गये हैं वो ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं
साज़ है और सदा नहीं शम्मा है रोशनी नहींछोड़ के मुझको चल दिये ये भी नहीं किया ख़याल
उनके सिवा जहान में और मेरा कोई नहीं
जब से चले गये हैं वो ज़िंदगी ज़िंदगी नहींसारे जहाँ की रौनकें जैसे किसी ने लूट लीं
फूल है ताज़गी नहीं चाँद है चाँदनी नहीं
जब से चले गये हैं वो ज़िंदगी ज़िंदगी नहींजीने को जी रही हूँ मैं उनके बगैर भी अगर
ज़िंदगी कह सकूँ जिसे ऐसी तो ज़िंदगी नहीं
जब से चले गये हैं वो ज़िंदगी ज़िंदगी नहीं
साज़ है और सदा नहीं शम्मा है रोशनी नहीं