कश्तियां भी लड़ गाईं - The Indic Lyrics Database

कश्तियां भी लड़ गाईं

गीतकार - पी के मिश्रा | गायक - साधना सरगम, एस पी बालासुब्रमण्यम | संगीत - ए आर रहमान | फ़िल्म - हिंदुस्तानी | वर्ष - 1996

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हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा -२कश्तियाँ भी लड़ गईं मस्तियाँ भी मिल गईं जान-ए-मनरात काली सो गई रोशनी भी हो गई जान-ए-मनसुबह तक हम लड़ते रहे जीने को हम मरते रहेघास बनी हैं तलवारें फूल बने हैं अंगारे जान-ए-मनजान-ए-मनआयेंगे अब तो बादल भी भीगेगा अब तो आँचल भीज़िंदगी होगी अपनी ज़िंदगीकश्तियाँ भी लड़ गईं मस्तियाँ भी मिल गईं जान-ए-मन
रात काली सो गई रोशनी भी हो गई जान-ए-मनपलकों में फूलों के रंग बरसेगालों पे आँसू की रंगोलीमैं यहाँ तू वहाँ लड़ते रहेख़त्म ये जंग जानें कब होगीमैने तुझको ये दिल जबसे दियाकाँटों पे गुज़ारा तबसे कियामेरा जीवन तेरे बिन सूनाख़ाबों में रह गयासाजन से बिछड़ केअब तो कश्तियाँ भी लड़ गईं मस्तियाँ भी मिल गईं जान-ए-मन
रात काली सो गई रोशनी भी हो गई जान-ए-मनला ला ला ला लाजान-ए-मन जान-ए-मन तेरे वास्तेआया हूँ उड़ के हवाओं मेंफूलों में होती है ज्यूँ ख़ुश्बूवैसी ही तू मेरी साँसों मेंतेरे पाँवों की पायल बन जाऊँतेरे नैनों का काजल बन के रहूँमेरे दिल की तू है रानीले लूँ आ बाँहों मेंतुझ में ही मिल जाऊँ मैंअब तो कश्तियाँ भी लड़ गईं मस्तियाँ भी मिल गईं जान-ए-मन
रात काली सो गई रोशनी भी हो गई जान-ए-मन
सुबह तक हम लड़ते रहे जीने को हम मरते रहे
घास बनी हैं तलवारें फूल बनें हैं अंगारे जान-ए-मन
जान-ए-मन
आयेंगे अब तो बादल भी भीगेगा अब तो आँचल भी
ज़िंदगी होगी अपनी ज़िंदगी