बेहोशी तन मन पे छने लगी छाने लगा है - The Indic Lyrics Database

बेहोशी तन मन पे छने लगी छाने लगा है

गीतकार - जावेद अख्तर | गायक - | संगीत - जतिन, ललित | फ़िल्म - बड़ा दिन | वर्ष - 1997

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बेहोशी तन मन पे छाने लगी छाने लगा है अब नशा आ आ
तुम जो ऐसे बहकोगे जाने आज होना है क्या
बेहोशी तन मन पे ...क्या राज़ है किसलिए बलखा रहा है तू आ
कोई क्या यहां आया है मेरी जान
आए जो कोई यहां तो सुन ले मेरी दास्तां
ये साँस ये धड़कनें हैं जैसे दिल की जुबां
दीवानी मान भी जा ऐसे न होश गंवा
अगर होश तन मन पे छाने लगे
छाने लगा है अब ...तू जो ऐसे बहकेगी जाने आज होना है क्याहाँ जान यही बात है महकी सी क्यूं रात है
ये साया है क्या चल तेरे साथ है
साया नहीं ज़ुल्फ़ है जो खुल के लहरा गई
ये बात जो अनकही वो होंठों पे आ गई
दीवानी मान भी ...