मान करे क्या रंग रूप का - The Indic Lyrics Database

मान करे क्या रंग रूप का

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - तलत | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - कवि | वर्ष - 1954

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तेरी इक इक अदा झूटी
वफ़ा झूठी हया झूटी
चलेगी ऐ हसीना कब तलक़
आखिर हवा झूटी
मान करे क्या रंग रूप का
तू काग़ज़ का फूल है
तुझ में खुशबू ढूँध रही है
ये दुनियाँ की भूल है
मान करे क्या रंग रूप का
तुझे देख के लाख बुझा ले
प्यास कोई अखियन की
बिना बास का फूल बनेगा
क्या शोभा बगियन की
डाल का फूल चढ़े मन्दिर में
तू रस्ते की धूल है
मान करे क्या रंग रूप का
बिना ज्योत का दीपक है तू
बिना तेल की बाती
जब तन उजला और मन काला
फिर काहे इतराती
शबनम खुद को सागर समझे
ये शबनम की भूल है
मान करे क्या रंग रूप का