गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - हेमंत कुमार | संगीत - मदन मोहन | फ़िल्म - मोहर | वर्ष - 1959
View in Romanआ आ आ(खो गया जाने कहाँ आरज़ू का जहाँ) -२
मुद्दतें गुज़री मगर याद है वो दास्ताँ
खो गया जाने कहाँ ...दाग़ मिट सकते नहीं दिल से तेरी याद के
इस तरह भूले कोई गुज़रे बहारों का समा
खो गया जाने कहाँ ...आ आ आ
(ज़िंदगी वीराँ है एक सेहरा की तरह) -२
(दिल मेरा बेताब है मौज-ए-दरिया की तरह) -२
ग़म की मैं तसवीर हूँ आ आ आ
ग़म की मैं तसवीर हूँ बेकसी की दास्ताँ
खो गया जाने कहाँ ...क़ाफ़िले आते रहें क़ाफ़िले जाते रहें
मेरी मंज़िल का मगर ना मिला मुझको निशान
खो गया जाने कहाँ ...