क़िस्सा ए महार ओ वफ़ा कब का पुराना हो गया - The Indic Lyrics Database

क़िस्सा ए महार ओ वफ़ा कब का पुराना हो गया

गीतकार - हसन लतीफ लीलाकी | गायक - गुलाम अली | संगीत - गुलाम अली, रफीक हुसैन | फ़िल्म - लम्हा लम्हा (गैर-फिल्म) | वर्ष - 1993

View in Roman '>

क़िस्सा-ए-महर-ओ-वफ़ा कब का पुराना हो गया
उनसे बिछड़े भी हमें अब तो ज़माना हो गयारात के पिछले पहर देखा था जिनको ख़ाब में
ज़िंदगी भर अब उन्हें मुश्किल भुलाना हो गयाप्यार के दो बोल ही तो थे मेरी रुस्वाई के
इक ज़रा सी बात का इतना फ़साना हो गयाउनकी ज़ुल्फ़ों की घनेरी छाँव क्या आई के फिर
देखते ही देखते मौसम सुहाना हो गयाजिस गली में हिचकिचाते थे कभी जाते हुये
उस गली में अब 'हसन' का आना जाना हो गया