हर गली पुरुष हैं बग़िचे - The Indic Lyrics Database

हर गली पुरुष हैं बग़िचे

गीतकार - पं नरोत्तम व्यास | गायक - शांता आप्टे | संगीत - मास्टर कृष्णराव | फ़िल्म - | वर्ष - 1937

View in Roman

हर गली में हैं बगीचे
फूल फल हैं सब रस रस रसबाग़बाँ अरज़ी सुनो
दो हुकुम आराम लेने
दो घड़ी हमको बस बस बसहम पे हैं सामान अमीरी
पर न दिलबर कोई शीरीं
बोले जो हँस हँस हँस