मुफ्त ह्यू बदनाम किसी पे हाय दिल को लगा के - The Indic Lyrics Database

मुफ्त ह्यू बदनाम किसी पे हाय दिल को लगा के

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - मुकेश | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - बारात | वर्ष - 1960

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मुफ़्त हुए बदनाम, किसी पे हाय दिल को लगा के
जीना हुआ इल्जाम
किसी पे हाय दिल को लगा के
मुफ़्त हुए बदनाम(गये अरमान लेके, लूटे लूटे आते हैं
लोग जहाँ में कैसे दिल को लगाते हैं) २
दिल को लगाते हैं, अपना बनाते हैं
हम तो फिरे नादान २
किसी पे हाय दिल को लगा के
मुफ़्त हुए बदनाम(समझे थे साथ भेजा, किसीका सुहाना गम
उसी जो नज़र को देखा, तन्हा खडे हैं हम) २
तन्हा खडे हैं हम
दिल भी रहा है कम
रस्तेमें हो गई शाम २
किसी पे हाय दिल को लगा के
मुफ़्त हुए बदनाम