वो मुक़द्दर ना रह और वो ज़माना ना रहः - The Indic Lyrics Database

वो मुक़द्दर ना रह और वो ज़माना ना रहः

गीतकार - आगा हशरा कश्मीरी | गायक - मास्टर निस्सारी | संगीत - ब्रजलाल वर्मा | फ़िल्म - शीरीन फरहाद | वर्ष - 1931

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वो मुक़द्दर न रहा और वो ज़माना न रहा
तुम जो बेगाने हुए, कोई यगाना न रहा
ओ ज़मीं तू ही लब-ए-ग़ौर से इतना कह दे
आ मेरी गोद में गर, कोई ठिकाना न रहाजिसकी उम्मीद में जीते थे, ख़फ़ा है वो भी
ऐ अज़ल! आ कि कोई अब तो बहाना न रहा
रहम कर, रहम कर, कि ये इश्क़ सितम है मुझ पर
तीर फिर किस पै चलेंगे जो निशाना न रहा