लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है - The Indic Lyrics Database

लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - लता | संगीत - अनिल बिस्वास | फ़िल्म - दोराहा: | वर्ष - 1952

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लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है
इक बार हँसाया था
इक बार हँसाया था सौ बार रुलाया है
लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है
दुनिया में वफ़ा कैसी उल्फ़त भी है इक धोखा
ये दुनिया भी देखी है
ये दुनिया भी देखी है ये धोखा भी खाया है
इस ग़म के अन्धेरे में अब याद नहीं ये भी
कब दीप जलाया था
कब दीप जलाया था कब दीप बुझाया है
ख़ामोश हूँ इस डर से रुसवाई न हो तेरी
उमडे हुये अश्क़ों को
उमडे हुये अश्क़ों को पलकों में छुपाया है
लूटा है ज़माने ने क़िस्मत ने मिटाया है