हवा से मोती बरसा रहे हैं - The Indic Lyrics Database

हवा से मोती बरसा रहे हैं

गीतकार - जोश मलिहाबादी | गायक - नूरजहां | संगीत - गुलाम नबी, अब्दुल लतीफ | फ़िल्म - आग का दरिया (पाकिस्तानी-फिल्म) | वर्ष - 1966

View in Roman

हवा से मोती बरस रहे हैं
फ़ज़ा तराने सुना रही है
दगर डगर है तमाम सह्रा
कली कली मुस्कुरा रही हैजहां की हर शाम एक देवी
जहां की हर सुभा एक रानी
जहां बरस्ता है रन्ग धानी
उधर मुड़ी है मेरी जवानी
हर एक साग़र खनक रहा है
हर एक शै गुन्गुना रही हैमेरे मचल्ते हुए लहू मेन
ख़ुशी का दरिया उबल रहा है
कली मेरे दिल की खिल रही है
बताओ फूलो ये बात कया है
ये कौन मेरी तरफ़ बढ़ा है
ये किस की आवाज़ आ रही हैतमाम जन्गल महक रहा है
ह्या से पिन्डा दहक रहा है
दुपट्टा सर से ढलक रहा है
पयाला जैसे छलक रहा है
ये दिल अरे क्यों धड़क रहा है
ये शर्म क्यों मुझ को आ रही है