सितम्गर दिल में तेरे आग - The Indic Lyrics Database

सितम्गर दिल में तेरे आग

गीतकार - शकील | गायक - रफी | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - आन | वर्ष - 1952

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सितम्गर दिल में तेरे आग उलफ़त की लगा दूँगा
क़सम तेरी तुझे मैं प्यार करना भी सिखा दूँगा
तेरा हुस्न माना बड़ी चीज़ है
मेरा दिल भी आख़िर कोई चीज़ है
ज़माने में हैं तुझसे लाखों हसीं
न होगा मगर कोई मुझसा कहीं
मुहब्बत अगर तेरे दिल में नहीं
तेरे दिल में नहीं
तो कर ले मोहब्बत भली चीज़ है
मेरा दिल भी आख़िर कोई चीज़ है
तेरा हुस्न माना बड़ी चीज़ है
मेरा दिल भी आख़िर कोई चीज़ है
न हो हुस्न पर इतना मग़रूर तू
करेगा तू इक दिन मेरी आरज़ू
बसा दूँगा मैं दिल में उलफ़त की धुन
दिल में उल्फ़त की धुन
तेरे लब पे जादू भरी चीज़ है
मेरा दिल भी आख़िर कोई चीज़ है
तेरा हुस्न माना बड़ी चीज़ है
मेरा दिल भी आख़िर कोई चीज़ है
तू जब गीत सुन कर तड़पने लगे
किसी के लिये दिल धड़कने लगे
कोई जब तेरे दिल में बसने लगे
समझना मोहब्बत वोही चीज़ है
मेरा दिल भी आख़िर कोई चीज़ है$