तेरे हुस्न की क्या तारीफ करुण - The Indic Lyrics Database

तेरे हुस्न की क्या तारीफ करुण

गीतकार - शकील बदायुँनी | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - नौशाद | फ़िल्म - लीडर | वर्ष - 1964

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रफ़ी: (धीमे)
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ(तेज)
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
तेरे हुस्न की
तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूँ
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँलता: मेरे दिल में कसक सी होती है, मेरे दिल में
मेरे दिल में कसक सी होती है
तेरे राह से जब मैं गुज़रती हूँ
इस बात से ये ना समझ लेना
की मैं तुझसे मोहब्बत करती हूँरफ़ी: (तेरी बात मे गीतों की सरगम
तेरी चाल मे पायल की छम छम )-२
कोई देख ले तुझको एक नजर-२
मर जाएं तेरी आँखों कसम
मैं भी हूँ अजब इक दीवाना
मरता हूँ ना आहें भरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँदोनो: आ...लता: (मेरे सामने जब तू आता है
जी धक से मेरा हो जाता है )-२
लेती है तमन्ना अंगड़ायी-२
दिल जाने कहाँ खो जाता है
महसूस ये होता है मुझको
जैसे मैं तेरा दम भरती हूँ
इस बात से ये ना समझ लेना
की मैं तुझसे मोहब्बत करती हूँरफ़ी: तेरे हुस्न की क्या तारीफ़ करूं
कुछ कहते हुए भी डरता हूँ
कहीं भूल से तू ना समझ बैठे
की मैं तुझसे मोहब्बत करता हूँ