तकरा गे दो बादल अंबर पे - The Indic Lyrics Database

तकरा गे दो बादल अंबर पे

गीतकार - योगेश | गायक - आशा भोंसले, विनोद मेहरा | संगीत - आर डी बर्मन | फ़िल्म - मज़ाक़ | वर्ष - 1975

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आशा: टकरा गये दो बादल अम्बर पे
तो बरसने लगे बून्दें बिखर के
टकरा गये दोविनोद (speaking):
मौशुमी, कितना प्यारा नाम है ये
इस नाम का साथ तो हर मौसम से है
चाहे वो सर्दी का हो या गर्मी का
पतझड़ का या सावन काआशा: आहा! छोड़ो जाओ, बड़े वो हो तुम
नाम मेरा जोड़ दिया, मौसम से सनम
मौसम फिर भी, मौसम है सनम
नाम मेर जोड़ा न बता ख़ुद से क्यों बलम
मुझसे मिलाओ ये नैन तो
ऐसे न जलाओ मेरे मन को
टकरा गये दोविनोद (speaking):
ये सावन का मौसम तो ख़ूबसूरत है ही
लेकिन तुम्हारी इस ख़ूबसूरत उमर ने
इसे और भी ख़ूबसूरत बना दिया हैआशा: जाने आई कैसी ये उमर
बन के कली खिलने लगी
सूनी राह पर
तन में मन में, उठी ये लहर
तुझसे सजन टकराए मन, जाऊँ मैं बिखर
आग लगे रे सावन को, छोओ गया मेरे दामन को
टकरा गये दो बादल अम्बर पे
तो बरसने लगे बून्दें बिखर के
टकरा गये दो