मोर अंगना में आए आली मैं चाल चलुन मतावली - The Indic Lyrics Database

मोर अंगना में आए आली मैं चाल चलुन मतावली

गीतकार - केदार शर्मा | गायक - कानन देवी | संगीत - आर सी बोराल | फ़िल्म - विद्यापति | वर्ष - 1937

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( अंगना में आये आली
मैं चाल चलूँ मतवाली ) -२
अंगना में आये आऐ सुनती हो
सुनो-सुनो
उं उं मुझसे कह रहे हैं
हाँ
ये कैसे गीत गा रही है
क्यूँ जी ये तो बड़े अच्छे गीत हैं
अच्छे गीत हैं
राधा-किशन के प्रेम के गीत हैं
राधा-किशन के प्रेम के गीत हैं
सुनाओ तो
सुनियेगा
बैठिये बैठिये आईये बैठिये
उह उह उह उह उह
अह ह ह ह ह ह
सुनिये
राधिका अपनी सहेली से कह रही है
के जब श्री क्रिश्नमोरे अंगना में आये आली
मैं चाल चलूँ मतवाली
अंगना में आये आ( जब आँचल हमरा पकड़े
हम हँस-हँस उनसे बचे ?? ) -२
चोली पे नजरिया आ जाये
चोली पे नजरिया जाये
मोरी चुनरी लिपट मोसे जाये
हाँ हाँ
चुनरी लिपट मोसेबस बस रहने दो
तुम मिथिला की बहू-बेटियों का सत्यानास करके छोड़ोगी
चोली पे
उफ़जी
ज़रा सुन तो लीजिये
और क्या
अब भी कुछ बाकी है
हुम( वो और बढ़ें मोरे पैयाँ पड़ें
कहें मानो बात हमारी ) -२मैं आह भरूँ मुख फेर कहूँ -२
नहीं मानूँगी बात तेहारी
हाँ नहीं मानूँगी बात तेहारी
नहीं मानूँगी बात तेहारी तेहारी
नहीं मानूँगी बात तोहारी
हाँ नहीं मानूँगी बात तेहारी तुम्हारी