मचालती हुई हवा में छम छम - The Indic Lyrics Database

मचालती हुई हवा में छम छम

गीतकार - मजरूह सुल्तानपुरी | गायक - लता मंगेशकर, किशोर कुमार | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - गंगा की लहरें | वर्ष - 1964

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ल: आ आ आ, आ आ
कि: ओ हो हो, हो हो
(मचलती हुई, हवा में छम छम
हमारे संग संग चलें गँगा की लहरें)-२
ल: ओ, ज़माने से कहो, अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गँगा की लहरें
कोरस: ज़माने से कहो ...कि: (हरियाली सी, छा जाती है
छाँव में इन के आँचल की)-२
ल: सर को झुका के, नाम लो इन के
ये तो है शक्ती निरबल की
हिमालय ने भी चूमे हैं इन के क़दम
कोरस: मचलती हुई, ...
ज़माने से कहो ...ल: (सुख में डूबा, तन मन उस का
आया जो इन के आँगन में)-२
कि: प्यार का पहला, दर्पन देखा
दुनिया ने इन के दर्शन में
के यूँ ही नहीं खाते हम इन की क़सम
कोरस: ज़माने से कहो ...
मचलती हुई ...कि: (साथ दिया है, इन लहरों ने
जब सब ने मुँह फेर लिया)-२
ल: और कभी जब, ग़म की जलती
धूप ने हम को घेर लिया
तो आओ इन के ही क़दमों में झुक जाएं हम
कोरस: मचलती हुई ...
ज़माने से कहो ...