प्यार की दास्तान तुम सुनो तो कहने - The Indic Lyrics Database

प्यार की दास्तान तुम सुनो तो कहने

गीतकार - कैफ़ी आज़मी | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - हेमंत कुमार | फ़िल्म - फरार | वर्ष - 1965

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प्यार की दास्ताँ तुम सुनो तो कहें
क्या करेगा सुनके जहाँ, तुम सुनो तो कहेंदो दिलों के मिलने से सौ दिये जल जाते हैं
आर्ज़ू की मंज़िल तक रास्ते सब आते हैं
हम कहाँ से आए कहाँ, तुम सुनो तो कहेंबस यही तो पूछा था एक दिन कुछ शर्माके
क्यों गगन यूँ मिलता है इस ज़मीं से घबराके
हो गए सब अरमाँ जवाँ, तुम सुनो तो कहें