बहक चले मेरे नैनवा - The Indic Lyrics Database

बहक चले मेरे नैनवा

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता | संगीत - रोशन | फ़िल्म - चाँदनी चौक | वर्ष - 1954

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पसीन
न हम समझे न आप आये कहीं से
पसीना पोछिये अपनी ज़बीं से

( बहक चले मेरे नैनवा
हाय न जाने कैसी चली हवा
क्यूँ ना लगी कल रात को पलक
मुझे ये क्या हो गया
हाय मुझे ये क्या हो गया )-2

आँचल से मेरा हाथ हटे न नैन रहे मेरे झुके-झुके-2
खड़ी रहूँ दरपन के आगे उलझी लट न सुलझ सके
हाय उलझी लट न सुलझ सके
मुझी को मेरे हाल पे शरमाना कोई सिखला गया

क्यूँ ना लगी कल रात को पलक
मुझे ये क्या हो गया
हाय मुझे ये क्या हो गया

ख़ामोशियों में दिल की
कोई गीत गा रहा है-2
आँखों में मुस्करा के
हँसना सिखा रहा है-2
मैं हूँ कहीं मेरा दिल कहीं
कोई कैसा ये जादू चला गया

क्यूँ ना लगी कल रात को पलक
मुझे ये क्या हो गया
हाय मुझे ये क्या हो गया

( मन में रुनक-झुनक ये कैसी
नाच रहे क्यूँ पाँव मेरे )-2
ये तूफ़ाँ ये हलचल कैसी
बिन मौसम की घटा घिरे
हाय बिन मौसम की घटा घिरे
घड़ी-घड़ी मचले जिया
जैसे फिर से लड़कपन आ गया

क्यूँ ना लगी कल रात को पलक
मुझे ये क्या हो गया
हाय मुझे ये क्या हो गया

बहक चले मेरे नैनवा
हाय न जाने कैसी चली हवा
क्यूँ ना लगी कल रात को पलक
मुझे ये क्या हो गया
हाय मुझे ये क्या हो गया$