नज़र आती नहीं मंज़िली - The Indic Lyrics Database

नज़र आती नहीं मंज़िली

गीतकार - रवींद्र जैन | गायक - मोहम्मद रफ़ी, चंद्रानी मुखर्जी | संगीत - रवींद्र जैन | फ़िल्म - कांच और हीरा | वर्ष - 1972

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नज़र आती नहीं मंज़िल, तड़पने से भी क्या हासिल
तक़दीर में ऐ मेरे दिल, अंधेरे ही अंधेरे हैंमजबूरी ने जिसको मारा, उसका कौन सहारा
मांझी तो मिल जाते हैं पर मिलता नहीं किनारानैनों से यूँ छिन गई ज्योती सीप से जैसे मोती
एक जान और सौ दुश्मन हैं, काश ये जान न होती