भीगी भीगी रातों में, मीठी मीठी बातों में - The Indic Lyrics Database

भीगी भीगी रातों में, मीठी मीठी बातों में

गीतकार - आनंद बख्शी | गायक - लता - किशोर | संगीत - राहुल देव बर्मन | फ़िल्म - अजनबी | वर्ष - 1974

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भीगी भीगी रातों में, मीठी मीठी बातों में
ऐसी बरसातों में, कैसा लगता है
ऐसा लगता है, तुम बन के बादल
मेरे बदन को भीगों के मुझे छेड़ रहे हो
अंबर खेले होली उई माँ, भीगी मोरी चोली, हमजोली
पानी के इस रेले में, सावन के इस मेले में
छत पे अकेले में, कैसा लगता है
ऐसा लगता है, तुम बन के घटा
अपने सजन को भीगो के खेल, खेल रही हो
बरखा से बचा लूँ, तुझे सीने से लगा लूँ, आ छुपा लूँ
दिलने पुकारा देखो, रुत का इशारा देखो
उफ़ ये नजारा देखो, कैसा लगता है
ऐसा लगता है, कुछ हो जायेगा
मस्त पवन के ये झोंके सैय्य़ा देख रहे हो