ले चला जिधर यह दिल निकल पड़े - The Indic Lyrics Database

ले चला जिधर यह दिल निकल पड़े

गीतकार - प्रेम धवन | गायक - रफी | संगीत - हंसराज बहल | फ़िल्म - मिस बॉम्बे | वर्ष - 1957

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ले चला जिधर यह दिल निकल पड़े
हम चलें जिधर ज़माना चल पड़े
जो साथ वक़्त के चला वो मर्द है
जो रह गया वो रास्ते की गर्द है
ले चला जिधर
सुबह-शाम काम ही काम है
यही तो है नसीब जिसका नाम है
तदबीर किए जाओ तक़दीर बदल जाएगी
आज ना सही तो कल सुहानी घड़ी आएगी
ले चला जिधर
मोती भी मिले तो तुम ना भीख लो
हाथों से कमा के जीना सीख लो
मुट्ठी में तुम्हारी छुपा हुआ जहान है
मिट्टी सोना हो तुम्हारे हाथों में वो जान है
ले चला जिधर
ओ जीने वाले ज़िन्दगी का राग सुन
आराम है हराम ये आवाज़ सुन
ये राज़ तूने जाना तो ज़िन्दगानी बन गई
वरना जीने-मरने की यूँ कहानी बन गई
ले चला जिधर