गीतकार - रवींद्र जैन | गायक - शैलेंद्र सिंह, हेमलता | संगीत - रवींद्र जैन | फ़िल्म - अखियों के झरोखों से | वर्ष - 1978
View in Romanहेमलता:
एक दिन, तुम बहुत बड़े बनोगे एक दिन
चाँद से चमक उठोगे एक दिन
will you forget me then?
शैलेन्द्र सिंह:
how i can, tell me how i can?हेमलता:
मान लो कहीं की शहज़ादी
बैठी हो तुम्हारे लिये आँखें बिछाए
और उसे ये ज़िद हो कि वो शादी
किसी से ना करेगी तुम्हारे सिवाय
will you forget me then?
शैलेन्द्र सिंह:
yes i can, if only you canशैलेन्द्र सिंह:
एक दिन, ले गया तुम्हे जो कोई अजनबी
ग़ैर की जो हो गई ये ज़िंदगी
will you forget me then?
हेमलता:
gentleman, oh no gentlemanशैलेन्द्र सिंह:
साँस साँस में तुम्हारी ख़ुशबू
किस तरह जियूँगा बोलो तुमको भुलाके
दिल पे जाँ पे कर चुकी हो जादू
जानती हो पूछती हो फिर भी सता के
हेमलता:
gentleman, sorry gentleman