चलि चलि रे पतंग मेरी चाली रे - The Indic Lyrics Database

चलि चलि रे पतंग मेरी चाली रे

गीतकार - राजिंदर कृष्ण | गायक - मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर | संगीत - चित्रगुप्त | फ़िल्म - भाभी | वर्ष - 1957

View in Roman

चली-चली रे पतंग मेरी चली रे -२
चली बादलों के पार हो के डोर पे सवार
सारी दुनिया ये देख-देख जली रे
चली-चली रे पतंग ...यूँ मस्त हवा में लहराए जैसे उड़न खटोला उड़ा जाए -२
ले के मन में लगन जैसे कोई दुल्हन -२
चली जाए साँवरिया की गली रे
चली-चली रे पतंग ...रंग मेरी पतंग का धानी है ये नील गगन की रानी -२
बाँकी बाँकी है उड़ान है उमर भी जवान
लागे पतली कमर बड़ी भली रे
चली-चली रे पतंग ...छूना मत देख अकेली है साथ में डोर सहेली -२
है ये बिजली की धार बड़ी तेज़ है कटार
देगी काट के रख दिलजली रे
चली-चली रे पतंग ...