लगी जो टक्कर - The Indic Lyrics Database

लगी जो टक्कर

गीतकार - प्रदीप | गायक - आशा: | संगीत - सी रामचंद्र | फ़िल्म - तलाक | वर्ष - 1958

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लगी जो टक्कर
अरे खा गये चक्कर
टूटे लड्डू मन के
चले थे चौबे छबे होने
रह गये दूबे बन के
( झुक गई देखो गर्दन चलते थे जो तन के
हो गये चौपट सभी इरादे आज ख़ुशी के मन के
हो हो हो आज ख़ुशी के मन के )
खड़े हैं बन के भीगी बिल्ली
लगे हैं मुँह पे ताले
( हमने देखा नहीं बरसते
बहोत गरज़ने वाले )
गीदड़ शेर नहीं हो सकता
शेर की खाल पहन के
हो गये चौपट सभी इरादे आज ख़ुशी के मन के
हो हो हो आज ख़ुशी के मन के
( बुरा किसी का करने वालों
भला भी करना सीखो
यहाँ सेर पे सवा सेर हैं
कुछ तो डरना सीखो )
बड़े बिकट हैं लोग यहाँ के
समझे
बड़े बिकट हैं लोग यहाँ के
उनसे बच लो उनसे
हो गये चौपट सभी इरादे आज ख़ुशी के मन के
हो हो हो आज ख़ुशी के मन के
झुक गई देखो गर्दन चलते थे जो तन के
हो गये चौपट सभी इरादे आज ख़ुशी के मन के