किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दिया - The Indic Lyrics Database

किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दिया

गीतकार - शैलेंद्र | गायक - लता मंगेशकर | संगीत - शंकर जयकिशन | फ़िल्म - पतिता | वर्ष - 1953

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किसीने अपना बनाके मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
अँधेरे घर में किसीने हँसके चिराग जैसे जला दिया
शरम के मारे मैं कुछ न बोली, नज़र ने पर्दा गिरा दिया
मगर वो सबकुछ समझ गये हैं, के दिल भी मैने गँवा दिया
न प्यार देखा, न प्यार जाना, सुनी थी लेकिन कहानियाँ
जो ख़्वाब रातों में भी ना आया, वो मुझको दिन में दिखा दिया
वो रंग भरते हैं ज़िन्दगी में, बदल रहा है मेरा जहां
कोई सितारें लूटा रहा था, किसीने दामन बिछा दिया